गीता परिवार के कार्य की शुरुआत संस्कार शिविरों की संकल्पना से हुई किंतु कार्य का विस्तार अनिवासी संस्कार वर्गो के साथ हुआ जिसे हम ‘संस्कार वाटिका’ कहते हैं. ग्रीष्मकालीन, शीतकालीन अथवा दिवाली की छुट्टीयो मे देश के अनेक शहरो तथा दूर-दूर के गांवो मे १० से १५ दिनो के अनिवासी संस्कार वाटिका का आयोजन किया जाता है. इन वर्गो मे बच्चे प्रतिदिन ३ घंटे के लिये आते हैं. संस्कार वाटिका मे संस्कृत पाठांतर. प्रात्यक्षिक प्रबोधन, आर्ट-क्राफ्ट, खेल-कूद, कथाकथन आदि उपक्रम लिये जाते हैं. संस्कार वाटिका के लिये गीता परिवार ने पाठ्यक्रम की ७ पुस्तको का निर्माण एवं प्रकाशन किया है. हजारो कार्यकर्ता इन वर्गो का संचालन करते हैं.